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कतिपय आश्चर्यजनक व सरल तन्त्र प्रयोग

KAULBHASKAR GURU JI

2023-08-13

कतिपय आश्चर्यजनक व सरल तन्त्र प्रयोग

(१) यदि किसी पर देवगण कुपित हैं, तो – “ॐ शान्ते प्रशान्ते सर्वक्रोधोपशमने स्वाहा” इस मन्त्र के २१ बार जप कर मुख धौत करें, तब उनका क्रोध का शमन होगा एवं प्रसन्नता लाभ करेगें।

(२) “ॐ ह्रीं ख्रीं ह्रीं छ्रीं ह्रीं ठ्रीं ह्रीं फ्रीं ह्रीं” – इस महामन्त्र का जो एकमन से हृदय क्षेत्र में जप करता है, उसके सभी प्रकार के अनिष्टों का विनाश होता है। यदि प्रति शुक्रवार को अपने हाथों से रक्तवर्ण के पुष्पों की माला गुँथ कर उक्त मन्त्र से १०० बार अभिमन्त्रित कर अपने हाथों से भगवती को पहनाया जाय तो चिरकाल तक सुख-भोग की प्राप्ती होती है।

(३) शुद्ध चित्त से भैरवी का ध्यान करते हुए “ॐ क्ष्रीं क्ष्रीं क्ष्रीं क्ष्रीं क्ष्रीं फट्” – इस मन्त्र का ५०० बार जप करने से सर्वप्रकार से मङ्गल होता है। नित्य जपने वाले को सदा शुद्ध फल की प्राप्ती होती है और वह परिवारों के साथ परमाशान्ति को प्राप्त करता है।

(४) “ॐ ह्रीं हयशीर्ष वागीश्वराय नम:” अथवा “ॐ महेश्वराय नम:” – इन दोनों मन्त्रों में से किसी एक का नित्य गुप्त रूप से ५००० जप करे तो वाग्मी और कवि हुआ जा सकता है।

(५) यदि कोई नैष्ठिक ब्राह्मण/साधक कुछ सर्षप(सरसो) लेकर – “ॐ ॐ ह्रीं ह्रीं ह्र: ह्र: फट् स्वाहा” इस मन्त्र से १०८ बार अभिमन्त्रित कर रोगी के गात्र में निक्षेप करे तो सर्व प्रकार के ग्रहदोषों की शान्ति होती है।

(६) नित्य समाहित भाव से “ॐ भगवते रुद्राय चण्डेश्वराय हूँ हूँ फट् फट् स्वाहा” – इस मन्त्र का १००० बार जप करने से किसी भी दैवी-विपदा की आशंका नहीं रहती है।

(७) एक मिट्टी से मनुष्य की आकृति की प्रतिमा बनाये। उसमें असाध्य रोगी के रोग की प्राणप्रतिष्ठा करे। फिर “ॐ नमो भगवते छिन्दि छिन्दि अमुकस्य शिर: प्रज्वलित पशुपाशे पुरूषाय फट्” इस मन्त्र का पाठ करते हुए अस्त्र से उस मृत्तिका का छेदन कर दे और यह भाव करे कि उसका रोग नष्ट हो गया। (मन्त्र में अमुकस्य की जगह रोगी के नाम का उच्चारण करे।)