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श्रीमद् आपदुद्धारक-बटुक-भैरव-स्तोत्र घटित चण्डी पाठ

KAULBHASKAR GURU JI

2022-10-14

श्रीमद् आपदुद्धारक-बटुक-भैरव-स्तोत्र घटित चण्डी पाठ – सम्पूर्ण कामनाओं की यथाशीघ्र सिद्धि के लिए मैथिलों में प्रसिद्ध

विधि: आचमन, प्राणायाम आदि करने के बाद संकल्प करें यथा:

ॐ…. अमुक प्रवरान्वित अमुक गोत्रोत्पन्न अमुक शर्मण: (यहाँ अपने लिए शर्मा की जगह वर्मा या गुप्ता या दास जैसा उपयुक्त हो व्यवहार करे) अमुक शाखाध्यायी मम शीघ्रं अमुक (यहाँ अपनी समस्या कहे) दुस्तर संकट निवृत्यर्थं क्रमेण प्रथमादि-त्रयोदशाध्यायान्ते क्रियमाण आपदुद्धारक-बटुक-भैरव-अष्टोत्तरशतनाम-मात्रावर्तन-घटित अमुक (यहाँ जितनी संख्या में पाठ करना है उसका उल्लेख करे) संख्यकावर्तनमहं करिष्ये।

संकल्प के बाद गणेश, षोडशमातृकाओं की पूजा करे और बलि प्रदान करे। तब सप्तशती का पाठ करे। यह युक्त पाठ के चार प्रकार हैं।

(१) मैथिलस्य मतेनायं प्रकाशे वांछिताप्तये।

पठेत् पूर्वमेक-वारमापदुद्धारकं स्तवम्।।

तत:शक्रादि-स्तुत्यन्तां पठेच्चण्डी च साधक:।

आपदुद्धारक-स्तोत्रं पठेद् वै साधकस्तत:।।

उर्वरीतान् नवाध्यायान्, पठेद् वै साधकस्तत:।

आपदुद्धारक-स्तोत्रं च, पुनस्तु प्रपठेत् सुधी:।।

प्राप्नोति तेन सकलान् कामान् वै साधकोत्तम:।।

पहले एक वार आपदुद्धारक-बटुक-भैरव-स्तोत्र का पाठ करे। इसके बाद शक्रादि-स्तुति का अर्थात् श्री दुर्गासप्तशती के प्रथम से चतुर्थ अध्याय तक का पाठ करे। तब पुन: आपदुद्धारक-बटुक-भैरव-स्तोत्र का पाठ करे फिर दुर्गासप्तशती के शेष ९ (पञ्चम से त्रयोदश तक) अध्यायों का पाठ करे। फिर पुनः आपदुद्धारक-बटुक-भैरव-स्तोत्र का पाठ करे।

इस प्रकार पाठ करने से सभी कामनाएँ पूर्ण होती है।

(२) प्रथमान्ते मध्यमान्ते उत्तरान्ते च साधक:।

एकैकावर्तनं कुर्यात् स्तवराजस्य साधक:।।

सकलान् मानसान् तेन कामनाप्नोति निश्चितम्।।

सप्तशती मेें तीन चरित हैं। इनमें से प्रत्येक चरित के अन्त में आपदुद्धारक-बटुक-भैरव-स्तोत्र का एक-एक बार पाठ करे। ऐसा करने से सभी मानसिक कामनाएँ पूरी होती है।

(३) अध्यायान्ते पठेत् स्तोत्रं महदापन्निवृत्ये।

सप्तशती के प्रत्येक अध्याय के अन्त में आपदुद्धारक-बटुक-भैरव-स्तोत्र का पाठ करने से महाआपत्ति की निवृत्ति होती है।

(४) उवाच मन्त्रा यावन्त: सप्त-पञ्चा वसन्ति हि।

तत्-तदन्तं पठेत् स्तोत्रं महदापन्निवृत्ये। ।

सप्तशती में उवाच शब्द ५७ है। प्रत्येक उवाच के अन्त में आपदुद्धारक-बटुक-भैरव-स्तोत्र का पाठ(कुल ५७ पाठ) महान आपत्ति के निवारण के लिए करे।

उपरोक्त ४ विधियों में से किसी भी एक विधि से पाठ करे।