क्या ब्रह्मा सृष्टि,विष्णु पालन, रूद्र संहार कर सकते हैं? :-
सामान्य रूप से हम सब को यही ज्ञात है कि सृष्टि,पालन,संहार का कार्य ब्रह्मा, विष्णु, और रूद्र द्वारा सम्पादित होता है। पर क्या यह सत्य है? देखते हैं कि आगम शास्त्र क्या कहता है?
ब्रह्मण: परमेशानि मातृत्वं सृष्टिरूपकम्।
वामाशक्तेस्तु विज्ञेयं ब्रह्मा प्रेतो न संशय:।।
ब्रह्मा: करणं नास्ति शक्तेस्तु करणं सदा।
ब्रह्माण्डलक्षनिर्माणं जायते शक्तित: प्रिये।।
अत एव महेशानि ब्रह्मा: प्रेतो न संशय:।
ब्रह्मा की वामा-शक्ति हीं सृष्टिरूपी निर्माणकारित्व से युक्त है। स्वरूपत: ब्रह्मा सृष्टि करने में असमर्थ होने के कारण प्रेत हैॆ। इसमें संदेह नहीं है। ब्रह्मा का क्रियाकारित्व नहीं है। शक्ति की हीं सर्वदा क्रियाकारित्व है। शक्ति से हीं लाखों लाख ब्रह्माण्ड निर्मित होते हैं। अतएव क्रियाकारित्व न होने के कारण ब्रह्मा नि:संदिग्ध रूप से प्रेत हैॆ।
विष्णौ च पालनं नास्ति पालयन्ती परा शिवा।।
ज्येष्ठाभिधा महेशानि सैव विष्णुरितीरिता।
विष्णुस्तु निश्चलो देवि वैष्णवी व्याप्तिकारिणी।।
पालयन्ती जगत्सर्वं विश्वनाटककारिणी।
अत एव महेशानि विष्णु: प्रेतो न संशय:।।
इस प्रकार विष्णु भी जगत्पालन नहीं करते। पराशिवारूपिणी ज्येष्ठा शक्ति हीं वस्तुत: जगत्पालन करती है। विष्णु (पुरूष) निश्चल हैं। वैष्णवी शक्ति ज्येष्ठा हीं व्याप्ति रूपा हैं। वे हीं समस्त जगत का पालन करती हैॆ। वे हीं इस विश्वरूप नाटक को करने वाली हैं। जगत् प्रपञ्च ज्येष्ठा शक्ति का हीं नाट्य है। अतएव विष्णु निश्चित हीं प्रेत हैं।
रूद्रस्तु परमं तत्त्वं शिवो निश्चल एव हि।
ग्रसन्ती रुद्रशक्तिस्तु तमोरूपा वरानने।।
गुणत्रयं शिवे नास्ति गुणातीत: परमेश्वर:।
निर्गुणस्य कथं ग्रासो निश्चलस्य वरानने।।
ग्रसन्ती रुद्रशक्तिस्तु त्रैलोक्यं सचराचरम्।
इसी प्रकार रूद्रदेव(शिव) भी निश्चल हैं। तमोरूपा रूद्र-शक्ति हीं संहारकारिणी है। शिव में सत्त्वादि त्रिगुण नहीं है। वे गुणातीत परमेश्वर हैं। हे वरानने! निर्गुण किस प्रकार से सृष्टि का ग्रास अथवा संहार कर सकेगा? निर्गुण तो निश्चल होता है। इसलिए रूद्रशक्ति हीं सचराचर त्रैलोक्य का संहार करती है।