शक्ति साधना में पूर्णाभिषेक के समय गुरु पादुका मन्त्र प्राप्त होता है और शक्ति उपासक सबसे पहले इसी गुरु पादुका मन्त्र का पुरश्चरण करता है | गुरु पादुका मन्त्र से श्रेष्ठ कोई मन्त्र नहीं है |
संकल्प : ………………………श्री गुरु परदेवता प्रीत्यर्थे श्री गुरु पादुका मन्त्रस्य (यहाँ अपेक्षित संख्या का उल्लेख करें यथा अष्टोत्तर शत /अष्टोत्तर सहस्त्र) जप अहं करिष्ये |
विनियोग :
ॐ अस्य श्री गुरु पादुका मन्त्रस्य परम शिव ऋषिः विराट छन्दः श्री गुरु परमात्मा देवता हं बीजं सः शक्तिः क्रौं कीलकं श्री गुरु परदेवता प्रीत्यर्थे जपे विनियोगः |
ऋष्यादिन्यास :
परम शिव ऋषये नमः शिरसि |
विराट छन्दसे नमः मुखे |
श्री गुरु परमात्मा देवतायै नमः हृदि |
हं बीजाय नमः गुह्ये |
सः शक्तये नमः पादौ |
क्रौं कीलकाय नमः नाभौ |
श्री गुरु परदेवता प्रीत्यर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे |
करन्यास :
ॐ हं सां अङ्गुष्ठाभ्यां नमः |
ॐ हं सीं तर्जनीभ्यां स्वाहा |
ॐ हं सूं मध्यमाभ्यां वषट् |
ॐ हं सैं अनामिकाभ्यां हुम् |
ॐ हं सौं कनिष्ठिकाभ्यां वौषट् |
ॐ हं सः करतलकरपृष्ठाभ्यां फट् |
हृदयादिन्यास :
ॐ हं सां हृदयाय नमः |
ॐ हं सीं शिरसे स्वाहा |
ॐ हं सूं शिखायै वषट् |
ॐ हं सैं कवचायै हुम् |
ॐ हं सौं नेत्र-त्रयाय वौषट् |
ॐ हं सः अस्त्राय फट् |
ध्यान :
जो गुरु से प्राप्त हो | श्री-कुल और काली-कुल के अनुसार ये अलग-अलग है |
मन्त्र : जो गुरु से प्राप्त हो | लघु, स्थूल और वृहद् ये गुरु पादुका के तीन भेद/प्रकार है |