कुबेर साधना
विनियोग: ॐ अस्य कुबेर मंत्रस्य विश्रवा ऋषिः, बृहती छन्दः, कुबेरः देवता, सर्वेष्ट-सिद्धये जपे विनियोगः।
ऋष्यादिन्यास:
विश्रवा ऋषये नमः शिरसी। बृहती छन्दसे नमः मुखे। कुबेर देवतायै नमः हृदि। सर्वेष्ट-सिद्धये जपे विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे।
करन्यास:
ॐ यक्षाय अंगुष्ठाभ्यां नमः। ॐ कुबेराय तर्जनीभ्यां स्वाहा। ॐ वैश्रवणाय मध्यमाभ्यां वषट्। ॐ धन-धान्याधिपतये अनामिकाभ्यां हुं। ॐ धन-धान्य-समृद्धिं मे कनिष्ठिकाभ्यां वौषट्। ॐ देहि दापय स्वाहा करतल-करपृष्ठाभ्यां फट्।
हृदयादिन्यास:
ॐ यक्षाय हृदयाय नमः। ॐ कुबेराय शिरसे स्वाहा। ॐ वैश्रवणाय शिखायै वषट्। ॐ धन-धान्याधिपतये कवचाय हुं। ॐ धन-धान्य-समृद्धिं मे नेत्र-त्रयाय वौषट्। ॐ देहि दापय स्वाहा अस्त्राय फट्।
ध्यान:
मनुज-वाह्य-विमान-वर-स्थितं, गरुड़ रत्न निभं निधि नायकम्। शिव-सखं मुकुटादि-विभूषितं, वर-गदे दधतं भजे तुंदिलम्।।
मन्त्र:
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्याधिपतये धन-धान्य-समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा।
विधि: पहले भगवान शिव का पूजन कर उनसे कुबेर साधना मे सिद्धि का आशीर्वाद माँगे। मन्त्र के पुरश्चरण हेतु १ लाख जप करे और काले तिल से १० हजार हवन करे। पुरश्चरण के बाद काम्य प्रयोग करे। शिव पूजन के बाद १० हजार जप करने से धन-वृद्धि होती है। यदि विल्व-मूल के नीचे बैठ कर १ लाख जप और दशांश तिल से हवन करे तो विशेष धन की प्राप्ति होती है। अनुष्ठान या पुरश्चरण का प्रारम्भ गुरु-पुष्य या रवि-पुष्य या सर्वार्थ-सिद्धि-योग या अन्य उत्तम मुहूर्त्त में करे। साधना का उत्तम समय प्रातःकाल है। साधना काल में यदि नित्य शिव पूजन हो तो अति उत्तम।