★ कुमारी पूजन ★
बहुत दिन से प्रेमीजनों का अनुरोध था कुमारी-पूजा पर कुछ लिखुँ। अत: आलस्य को त्याग आज लिखने बैठा। शक्ति उपासकों के अलावा सामान्य जनों में भी यह पूजा काफी प्रसिद्ध है। प्रत्येक अनुष्ठानों/पुरश्चरणों के निर्विघ्न सम्पन्नता हेतु सभी साधकों को बीच-बीच में यह पूजन अवश्य करना चाहिए।
संकल्प: देशकालौ संकीर्त्तय अमुक-फल-प्राप्तयेऽमुक कर्मण्यमुक-देव्या: प्रीतये गणेश-वटुकादिसहित कुमारीणां पूजनं करिष्ये।
“गं गणपतये नम:” मन्त्र से छोटे बालक की गणेश रुप में पंचोपचार पूजन करे।
पुन: “वं वटुकाय नम:” से थोड़े बड़े बालक का वटुक रूप में पंचोपचार पूजन करे।
इसके बाद एक,तीन, पाँच, सात, नौ संख्यक कुमारियों का पूजन करे।
हाथ में पुष्प लें कुमारी का निम्मन मन्त्र से आवाहन करे-
भगवति, कुमारि!पूजार्थं त्वं मया निमन्त्रिताऽसि मां कृतार्थय।
ॐ मन्त्राक्षर-मयीं लक्ष्मीं मातृणां रूप-धारिणीं।
नव-दुर्गात्मिकां साक्षात् कन्यामावाहयाम्यहम्।।
अब ” क्लां कुलकुमारिके हृदयाय नम: ” , ” क्लीं कुलकुमारिके शिरसे स्वाहा “, ” क्लूं कुलकुमारिके शिखायै वषट् “, ” क्लैं कुलकुमारिके कवचाय हुम् “, ” क्लौं कुलकुमारिके नेत्र-त्रयाय वौषट्”, ” क्ल: कुलकुमारिके अस्त्राय फट् ” – इन मन्त्रों से कुमारी के शरीर में षडङ्ग-न्यास करे।
अब ध्यान करे:
शंख-कुन्देन्दु-धवलां द्विभुजां वरदाभयां,
चन्द्र-मध्य-महाम्भोज-हाद-भाव-विराजिताम्।
बाला-रूपां च त्रैलोक्य-सुन्दरीं वर-वर्णिनीं,
नानालङ्कार-नम्राङ्गीं भद्रविद्या-प्रकाशिनीम्।
चारुहास्यां महाऽऽनन्द-हृदयां शुभदां शुभां,
ध्याये द्वादश-पत्राब्जे पूर्ण-चन्द्र-निभाननाम्।।
अब मानसोपचार पूजन कर निम्मन षोडश कुलकुमारिका मन्त्रों से बाह्य पूजन करे-
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: सन्ध्यायै पूजयामि नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: सरस्वत्यै पूजयामि नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: त्रिमूर्त्यै पूजयामि नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: कालिकायै पूजयामि नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: सुभगायै पूजयामि नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: उमायै पूजयामि नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: मालिन्यै पूजयामि नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: कुब्जिकायै पूजयामि नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: काल-संकर्षिन्यै पूजयामि नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: अपराजितायै पूजयामि नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: रुद्राण्यै पूजयामि नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: भैरव्यै पूजयामि नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: महालक्ष्म्यै पूजयामि: नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: पीठनायिकायै पूजयामि नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: क्षेत्रज्ञायै पूजयामि नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: चर्चिकायै पूजयामि नम:
इसके बाद नव दुर्गा मन्त्रों से पूजन करे-
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: कुमार्यै पूजयामि नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: त्रिमूर्त्यै पूजयामि नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: कल्याण्यै पूजयामि नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: रोहिण्यै पूजयामि नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: कालिकायै पूजयामि नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: चण्डिकायै पूजयामि नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: शाम्भव्यै पूजयामि नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: दुर्गायै पूजयामि नम:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं हूं ह्सौ: सुभद्रायै पूजयामि नम:
पुन: ” ॐ ह्रीं हंस: कुलकुमारिकायै नम: ” से पुष्पांजलि दे।
कुमारियों के भोजन करते वक्त अधिकारी साधक मन्त्र जप कर ” कुलाङ्गना स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।
इसके बाद पूर्वोक्त नवदुर्गा मन्त्रों में ‘पूजयामि नम:’ के स्थान पर “प्रणमामि नम:” कह प्रणाम करे।
यदि सम्भव हो तो पूजन के बाद ‘कुमारी-कवच’, ‘कुमारी-स्तोत्र’, ‘कुमारी-सहस्त्र-नाम’ आदि का पाठ करे।