मातंगी मन्त्र साधना
मन्त्र: ऐं ह्रीं श्रीं ऐं क्लीं सौ: ॐ नम: भगवति श्रीमातङ्गीश्वरि --------- वशमानय स्वाहा सौ: क्लीं ऐं श्रीं ह्रीं ऐं
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इस मन्त्र के ऋषि महायोगी मतङ्ग भगवान, छन्द त्रिष्टुप्, देवता सर्वकामप्रदायिनी श्रीमातङ्गीश्वरी देवी, बीज ऐं, शक्ति ह्रीं, कीलक श्रीं है। क्रमश: ऐं, ह्रीं, श्रीं, ऐं, ह्रीं, श्रीं से षडंग-न्यास करे।
ध्यान:
नीलोत्पल-प्रतीकाशां नीलमेघ-समप्रभाम्,
महामरकत-प्रख्यां नीलाम्बर-विराजिताम्।
इन्द्रनील-मणि-प्रख्यां कमलायत लोचनाम्,
वीणासक्तां महादेवीं शंख-कुण्डलधारिणीम्।
गानासक्तां जगद्-वन्द्यां बिम्बाधर विराजिताम्,
सर्वालङ्कार भूषाङ्गीं कदम्ब-वन-वासिनीम्।
सर्व-काम-प्रदां देवीं भक्तानामभयं-प्रदाम्,
स्मितास्यां तामहं वन्दे मातङ्गीं परमेश्वरीम्।
प्रतिदिन १०८ बार जप करने से साधक सभी भोगों का सुख पाता है और अन्त में मोक्ष को प्राप्त करता है।