श्री महर्षि मार्कण्डेय प्रणीत सरस्वती साधना
मंत्र:
ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं ॐ वाग्देव्यै नमः
विनियोग:
ॐ अस्य श्री वागवादिनी-शारदा मंत्रस्यः मार्कण्डेयाश्वलायनौ ऋषि स्रग्धरा-अनुष्ट्भौ छंदसौ, श्री सरस्वती देवता, श्री सरस्वतीप्रसाद-सिद्धयर्थे जपे विनियोग: ।
ध्यान:
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम् ! वीणा पुस्तकधारिणीम् ऽभयदां जाड्यान्धकारापहाम् ! हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् ! वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदाम् शारदाम् !!
विधि:
किसी शुभ मुहूर्त में, सोमवार को अनुष्ठान प्रारम्भ करें ! श्री गुरु , गणेश जी तथा सरस्वती का पूजन करे और नैवेद्य में मिश्री और छोटी इलयाची दे।शुद्ध घी का सफेद बत्ती वाला दीपक जलायें।पुन: सफ़ेद वस्त्र धारण कर पूर्व दिशा की और मुख कर उपरोक्त मन्त्र का जप स्फटिक माला से ४० दिन तक प्रतिदिन ११ माला करे ।जप के पश्चात संस्कृत अग्नि में गौ-घृत और पायस से १००८ आहुति दे। इस प्रकार साधना सिद्ध हो जाती है और व्यक्ति को चमत्कारी लाभ मिलता है ।