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श्रीविद्या के बाह्य पूजा के अधिकारी

KAULBHASKAR GURU JI

2022-11-03

महामहाभट्टारिका महाकामेश्वराङ्कनिलया श्रीमहात्रिपुरसुन्दरी श्रीविद्या के बाह्य पूजा के अधिकारी वही हैं जो आन्तर पूजा में समर्थ हैं। आन्तर पूजा से जाग्रत किया आत्मतेज जब तक बाह्य प्रतिमा अथवा यन्त्रादि में संस्थापित नहीं किया जाता, तब तक ये सब निर्जीव हीं रहते हैं। महान विद्वान शिवचन्द्र विद्यार्णव ने अपने ग्रन्थ ‘ तन्त्रतत्व ‘ में इसी मत का प्रतिपादन किया है। सर जान उडरफ ने यही बात ‘ प्रिंसपल ऑफ तंत्राज् ‘ में कहा है। प्राणानुसन्धान द्वारा ही आयत्त होने वाली इस आन्तर पूजा का संकेत ‘ भावनोपनिषद ‘ में भी प्राप्त होता है।