KAULBHASKAR Guru Ji is in Mumbai. Available on What's App

कलिकाल के लिए तन्त्र की महत्ता

KAULBHASKAR GURU JI

2022-10-15

आगम ग्रन्थों में तन्त्र की महत्ता का बहुत वर्णन है। कलिकाल के लिए तो केवल तन्त्रोक्त मार्ग ही प्रशस्त बताया गया है ।

बिना ह्यागममार्गेण नास्ति सिद्धि: कलौ प्रिये।

कलियुग में आगम(तन्त्र) मार्ग के अलावा और किसी मार्ग से सिद्धि नहीं हो सकती। ‘योगिनी तन्त्र’ में तो यहाँ तक कहा गया है कि-

निर्वीर्या: श्रौतजातीया विषहीनोरगा इव।

सत्यादौ सफला आसन् कलौ ते मृतका इव।।

पाञ्चालिका यथा भित्तौ सर्वेन्द्रिय-समन्विता:।

अमूरशक्ता: कार्येषु तथान्ते मन्त्रराशय: ।।

कलावन्योदितैर्मार्गे सिद्धिमिच्छति यो नर:।

तृषित जाह्नवीतीरे कूपं खनति दुर्मति:।।

कलौ तन्त्रोदिता मन्त्रा: सिद्धास्तुपूर्णफलप्रदा:।

शस्ता: कर्मसु सर्वेषु जप-यज्ञ-क्रियादिषु।।

वैदिक मन्त्र विषरहित सर्पों के समान निर्वीर्य हो गये हैं। वे सतयुग, त्रेता तथा द्वापर में सफल थे, किन्तु इस कलिकाल में अब मृतक के समान हैं। जिस प्रकार दीवार में बनी सर्व इन्द्रियों से युक्त पुतलियाँ अशक्त होती हैं, उसी प्रकार तन्त्र से अतिरिक्त मन्त्र-समुदाय अशक्त है। कलियुग में जो अन्य शास्त्रों द्वारा कथित मन्त्रों से सिद्धि चाहता है, वह अपनी प्यास बुझाने के लिए गंगा के पास रह कर भी कुँआ खोदना चाहने वाला दुर्बुद्धिमता है। कलियुग में तन्त्रों में कहे गए मन्त्र सिद्ध हैं तथा शीघ्र सिद्धि देने वाले हैं। ये जप, यज्ञ और क्रिया आदि में भी प्रशस्त हैं।

मत्स्यपुराण में कहा गया है कि-

विष्णुर्वरिष्ठो देवानां ह्रदानामुदधिर्यथा।

नदीनां च यथा गङ्गा पर्वतानां हिमालय:।।

तथा समस्तशास्त्राणां तन्त्रशास्त्रमनुत्तमम्। सर्वकामप्रदं पुण्यं तन्त्र वै वेदसम्मतम्।

जैसे देवताओं में विष्णु, सरोवरों में समुद्र, नदियों में गङ्गा और पर्वतों में हिमालय श्रेष्ठ है, वैसे ही समस्त शास्त्रों में तन्त्र-शास्त्र सर्वश्रेष्ठ है। यह सर्व कामनाओं का देनेवाला, पुण्यमयी और वेद-समस्त है।

‘महानिर्वाण-तन्त्र’ में भी कहा गया है कि-

गृहस्थस्य क्रियाः सर्वा आगमोक्ता: कलौ शिवे।

नान्यमार्गे: क्रियासिद्धि: कदापि गृहमेधिनाम्।।

कलियुग में गृहस्थ केवल आगम-तन्त्र के अनुसार ही कार्य करेंगे। अन्य मार्गों से गृहस्थों को कभी सिद्धि नहीं होगी।